Ahmad Faraz Shayari

अहमद फ़राज़ शायरी


"वो मुरव्वत से मिला है तो झुका दूँ गर्दन..
मेरे दुश्मन का कोई वार ना खाली जाए "
-अहमद फ़राज़


"सलवटें है मेरे चेहरे पे तो हैरत क्यों है..
ज़िन्दगी ने मुझे कुछ तुमसे ज़्यादा पहना "
-अहमद फ़राज़


"वो जो रास्ते थे वफ़ा के थे.. ये जो मंज़िले है सज़ा की है..
मेरा हमसफ़र कोई और था.. मेरा हमनशीं कोई और है"
-अहमद फ़राज़



"उसने नज़र-नज़र में ही ऐसे भले सुख़न कहे..
मैंने तो उसके पाँव में सारा क़लाम रख दिया"
-अहमद फ़राज़



"और फ़राज़ चाहिए कितनी मोहब्बतें  तुझे..
माँओं ने तेरे नाम पे बच्चो का नाम रख दिया"
-अहमद फ़राज़




"तू अपनी शीशागरी का हुनर ना कर ज़ाया..
मैं आईना हूँ मुझे टूटने की आदत है"
-अहमद फ़राज़




"कितना आसान था तेरे हिज्र में मरना जाना..
फिर भी एक उम्र लगी जान से जाते-जाते"
-अहमद फ़राज़